गुरुवार, 8 मई 2008

ये आसमां तेरा है

पंख मिल गये तुम्हें,अब आसमान तेरा है
गगन का हर किनारा तेरा है


अपने सपनों को नई उड़ान दो
अपने नाम को नई पहचान दो


तुम्हें बुलंदियों को छुना है
थपेड़ों से लड़ना है
जीवन के इस सफर में
नये मुकामों को गढ़ना है


भूखी आंखें,मुखौटे लगाये चेहरे
हर मोड़ पर मिलेंगें तुम्हें
इन कांटों के बीच
इक नया रास्ता बनाना है


मंजिलें तुम्हें मुबारक हो
पर रास्तों का ख्याल रखना
आस-पास के लोगों
और बातों का ख्याल रखना


गलियां तंग ,रास्ते संकरे
सफर भी लंबा होगा
पर पास की आसान लगती
राहों से बचके रहना


उड़ो खुब उड़ो अब आसमां तेरा है
बस झूठी जिंदगी और
दुसरों के सपनों से बच के रहना

1 टिप्पणी:

सुशील छौक्कर ने कहा…

दिल को छूती कविता।