गुरुवार, 18 अक्तूबर 2007

गलती कहां हूई

मैंने समझा तु छोटा है,
तु नादान है,
गलतियां गलती से हो जाती होगी,
नही मालूम था,
तूझे सब मालूम है,
तेरा हंसना,तेरा रोना
सब नाटक है,
एक तो गलती,
उस पर दिलेरी,
शायद कमी मेरी थी,
तालीम ही सही न दे सका,
शायद गला तेरा तर हो गया,
पर सीना मेरा छलनी हो गया,
तु भले सुरूर में था,
पर मेरी आखें नम थी,
बावजूद इसके तू नादान है,
तू छोटा है ।

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