सोमवार, 10 मार्च 2008

ये समाज के नये नायक हैं ।

अनामिका,रोहनप्रीत और तन्मय ने लिटील चैम्पस प्रतियोगिता में जीत दर्ज की ।
ये एक शो के विजेता भर नहीं समाज के नये नायक हैं ।नायक इसलिए कि इन्होंने सपनों को साकार करने की राह दिखाई है ।नायक इसलिए भी कि मरियानी,पटियाला और लखनउ जैसे छोटे शहरों से आकर ये महानगरों में अपनी जीत दर्ज कराते हैं ।इन नन्हें विजेताओं की जीत बताती है कि मन में लगन और दिल में जूनुन हो तो आसमां को भी करीब लाया जा सकता है ।ये शाहरूख और अमिताभ की तरह सपनों की कोई दुनिया नहीं रचते बल्कि मासूम आंखों में देखे गये ख्वाब के सच होने की कहानी बयां करते हैं ।
ये बच्चे हाशिए पर खड़े एक बड़े तबके के हौसलों की जीत की कहानी कहते हैं ।तालियों की गड़गड़ाहट और जगमगाती रोशनी सिर्फ इनके इनके चेहरों पर ही लाली नहीं लाती बल्कि महानगरों से दूर रह रहे कई बच्चों के आंखों में सपनों की बुनियाद खड़ी करती हैं ।इनकी जीत उस मिथक को भी तोड़ती है कि मध्यम वर्ग के मां बाप अपने बच्चों को डाक्टर या इंजीनियर ही बनाना चाहते हैं ।
इनको मिले एक करोड़ से भी ज्यादा वोट ये बताते हैं कि महानगरों में रहने वाले लोग छोटे शहरों से निकले इन बड़े नायकों को सलाम कर रहा है ।इनको मिले लाखों का इनाम हाशिए पर खड़े समाज के बुलंद इरादों की कहानी कहता हैं ।
आज जबकि मध्यम वर्ग में कुछ करने की उकताहट और कुछ न कर पाने की वजह से उपजा एक आक्रोश है तो ऐसे में इनकी जीत समाज के उस तबके को खड़े होने का हौसला देता है साथ ही ये भरोसा भी कि वो किसी से कम नहीं ।

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